वायरलेस कम्युनिकेशन क्या है?(Wireless Communication in Hindi)

First Wireless Technology ( विश्व की पहली वायरलेस तकनीक )

दुनिया की पहली वायरलेस संचार तकनीक का नाम वायरलेस टेलीग्राफ सिस्टम है, जिसका अविष्कार  Guglielmo Marconi नाम के वैज्ञानिक ने किया था। मार्कोनी ने अपने अविष्कार वायरलेस टेलीग्राफ सिस्टम का प्रदर्शन पहली बार ब्रिटिश सरकार के लिए साल 1886 के जुलाई महीने में किया था। जबकि इसका सफल परिक्षण उन्होंने 13 मई 1897 को किया। इस उपकरण की सहायता से समुद्र में 6 किमी की दूरी तक वायरलेस संदेश संचार किया जा सकता था।

Wireless Communication की परिभाषा

वायरलेस कम्युनिकेशंस एक एैसी प्रणाली है है जिसमें किसी भी प्रकार का भौतिक संसाधन जैसे तार का उपयोग नही कीया‌ गया हैयह एक बेतार संचार साधन है इस तकनीक में बिना केबल और तार के जरिए Radio frequency और Infrarays की मदद से डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान एवं एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में भेजा जाता है। इंटरनेट उपयोग करना, डाटा शेयर करना या फिर वॉइस कॉल करना इत्यादि इन सभी तकनीकों में वायरलेस कम्युनिकेशन तकनीक का प्रयोग होता है।

Wireless Communication के उदाहरण

आज कल के दैनिक जीवन में मोबाइल आज कल के दैनिक जीवन में मोबाइल फ़ोन जेसी कई सारी चीजों की आवश्यकता होती है जैसे की बात करने के लिए , इंटरनेट , मल्टीमीडिया आदि ये सभी सेवाएं आज कल की जरूरत बन गई है वायरलेस तकनीक के कई सारे प्रकार है, हमने कुछ चुनिंदा प्रकारों का वर्णन किया है जिनका उपयोग हम रोजमर्रा की जीवन में करते हैं

  • Global position system (GPS)
  • Cellular communication
  • Television broadcasting
  • Radar communication
  • Radio
  • Wi-Fi
  • Bluetooth
  • Light fidelity (Li-Fi)
  • Wireless access point
  • Microwave Communication

Cellular communication

जिसका इस्तेमाल हम सेल फोन में करते हैं, यह नेटवर्क लैंड एरिया में डिस्टर्ब होता है।बड़े-बड़े टॉवर्स के मदद से रेडियो सिग्नल को विभिन्न जगहों में भेजा जाता है, यूजर स्मार्टफोन और सेल फोन की मदद से इस नेटवर्क से जुड़ कर वायरलेस नेटवर्क का निर्माण करता है एवं एक स्मार्टफोन को दूसरे स्मार्टफोन से वायरलेस जुड़ सकता है।सेल्यूलर ट्रांसमिशन एक रेडियो नेटवर्क है

Bluetooth

ब्लूटूथ तकनीक में 2.4 GHz से लेकर 5.0 GHz के बीच की रेडियो तरंगों का प्रयोग किया जाता है।जिसके द्वारा छोटे वेबलेंथ की रेडियो तरंगों का प्रयोग करके कम दूरी (100 मीटर) तक डेटा के आदान-प्रदान को सक्षम बनाया जाता है।यह एक वायरलेस प्रौद्योगिकी मानक है,ब्लूटूथ की सहायता से कंप्यूटर के विभिन्न उपकरणों जैसे प्रिंटर, माउस, हेडफोन, की-बोर्ड, मॉडेम आदि को केबल के बिना आपस में वायरलेस जोड़ा जाता है।

 Microwave Communication (माइक्रोवेव कम्युनिकेशन)

Microwave एक प्रकार का वायरलेस कम्युनिकेशन है जो डेटा और सूचनाओं को ट्रांसफर करने के लिए रेडियो सिग्नल्स का उपयोग करता है।

माइक्रोवेव का उपयोग करके हम पुरे विश्व में डेटा और सूचनाओं को ट्रांसफर कर सकते है।
इसके अलावा इसका इस्तेमाल पॉइंट-टू-पॉइंट संचार के लिए भी किया जाता है। हालांकि इसका एक नुकसान भी है यदि मौसम खराब होता है तो इसमें संचार करना मुश्किल होता है। माइक्रोवेव की फ्रीक्वेंसी रेंज 1 GHz से 300 GHz के बीच होती है।

Radio

यह एक लोकप्रिय कम्युनिकेशन है जिसका इस्तेमाल AM और FM रेडियो में किया जाता है। इसके अलावा रेडियो कम्युनिकेशन का इस्तेमाल प्राइवेट और गवर्नमेंट organization के द्वारा radio frequencies को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है।

यदि किसी कारण मौसम खराब होता है तो संचार करना मुश्किल हो जायेगा। रेडियो संचार का उपयोग कई जगहों पर किया जाता है।
जैसे :- समुद्र में इसका इस्तेमाल जहाजों के द्वारा एक दुसरे के साथ कम्यूनिकेट करने के लिए किया जाता है , रेडियो स्टेशन में इसका इस्तेमाल मनोरंजन के उदेश्य के लिए किया जाता है।

Wi-Fi

Wi-Fi एक इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क है जिसका इस्तेमाल स्मार्टफोन , कंप्यूटर , लेपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के द्वारा किया जाता है।
इस नेटवर्क में डेटा और सूचनाओं को लम्बी दूरी में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है क्योकि इसकी रेंज सीमित होती है। इस प्रकार के नेटवर्क को सुरक्षित रखने के लिए पासवर्ड का उपयोग किया जाता है।

यदि कोई यूजर इसमें पासवर्ड का उपयोग नहीं करता तो कोई अन्य यूजर Wi-Fi नेटवर्क को एक्सेस कर सकता है।

Bluetooth

ब्लूटूथ एक प्रकार की तकनीक है जिसके माध्यम से हम अपने डेटा और फाइलों को ट्रांसफर कर सकते है। यह कम दूरी पर डेटा और फाइलों को ट्रांसफर करने का एक तरीका है। यह 30 फीट को दूरी को कवर कर सकती है। इस तकनीक का उपयोग करके हम हैंड्स-फ्री इयरफ़ोन, माउस, वायरलेस कीबोर्ड जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के साथ कनेक्ट हो सकते है।

GPS

का पूरा नाम Global Positioning System है, यह एक navigation satellite system है जोकि रेडियो फ्रिकवेंसी और इंफ्रारेज की मदद से नेटवर्क डिवाइस की लोकेशन को ट्रेस कर सकता है, यह स्मार्टफोन, लैपटॉप, तथा अन्य नेटवर्क डिवाइस में पहले से उपलब्ध रहता है GPS की मदद से वायरलेस किसी के भी लोकेशन का पता लगाया जा सकता है।

वायरलेस कम्युनिकेशन की विशेषताएं (Features of Wireless Communication )

वायरलेस क्म्युमिकेशन कि सीमा हजारो किलोमीटर  या कुछ मीटर कि हो साकती है

इसका उपयोग सेलुलर टेलीफोनी, इंटरनेट, वायरलेस एक्सेस और वायरलेस होम नेटवर्किंग के लिए किया जाता है।

 इसमें डेटा और सूचनाओं को ट्रांसफर करने के लिए किसी प्रकार की केबल की आवश्यकता नहीं पड़ती।

यह संचार flexible है।

वायरलेस कम्युनिकेशन के अनुप्रयोग (Application of wireless Communication)

  1. इसका इस्तेमाल भूकंप का पता लगाने , वातावरण की जानकारी प्रदान करने और मौसम की भविस्यवनी के लिए किया जाता है।
  2. यह वायर्ड नेटवर्क को बदलने में मदद करता है।
  3. इसका इस्तेमाल शिक्षा के छेत्र में भी किया जाता है। उदहारण के लिए ऑनलाइन क्लास , ऑनलाइन टेस्ट आदि।
  4. यह वायर्ड नेटवर्क को बदलने में मदद करता है।
  5.  इसका इस्तेमाल वाहनों की गति (speed) को मेन्टेन करने के लिए किया जाता है।

वायरलेस कम्युनिकेशन के फायदे

  1. इस मे डेटा को अदान – प्र्दान कारने कि गाती अधिक है
  2. इस का उपयोग करना असान है
  3. वायरलेस कम्युनिकेशन को कहीं पर भी और किसी भी समय में एक्सेस किया जा सकता है।
  4. इसमें डेटा को ट्रांसफर करने के लिए केबल की आवश्यकता नहीं पड़ती।
  5. इस को कही ओर ले जाना ओर फिर से स्थापित (establish) करना आसान है।
  6. इसमें किसी भी फिजिकल कनेक्शन के साथ configure किया जा सकता है

वायरलेस कम्युनिकेशन के नुकसान

  1. Wireless communication मे कम सुरक्षित है।
  2. ट्रांसमिशन गति तुलनात्मक रूप से कम है।
  3. इसमें संचार और नेटवर्क सुरक्षा के उल्लंघन के लिए सीमित मात्रा में बैंडविड्थ है।
  4. वायरलेस नेटवर्क को आसानी से हैक किया जा सकता है।
  5. वायरलेस नेटवर्क को स्थापित करते समय सावधानीपूर्वक रेडियो फ्रीक्वेंसी की आवश्यकता होती है।
  6. वायरलेस नेटवर्क आमतौर पर सस्ते होते हैं, लेकिन इंस्टॉलेशन की लागत बहुत अधिक होती है, वायरलेस नेटवर्क स्थापित करना बहुत महंगा होता है।
  7. कम अनुभव वाले लोगों को स्थापित करना कठिन है
  1. ट्रांसमिशन गति तुलनात्मक रूप से कम है।
  2. इसमें संचार और नेटवर्क सुरक्षा के उल्लंघन के लिए सीमित मात्रा में बैंडविड्थ है।
  3. वायरलेस नेटवर्क को आसानी से हैक किया जा सकता है।
  4. वायरलेस नेटवर्क को स्थापित करते समय सावधानीपूर्वक रेडियो फ्रीक्वेंसी की आवश्यकता होती है।
  5. वायरलेस नेटवर्क आमतौर पर सस्ते होते हैं, लेकिन इंस्टॉलेशन की लागत बहुत अधिक होती है, वायरलेस नेटवर्क स्थापित करना बहुत महंगा होता है।
  6. कम अनुभव वाले लोगों को स्थापित करना कठिन है।

हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी (Wireless Communication in Hindi) वॉयरलैस कम्युनिकेशन के बारे में हमने चर्चा की और आप सभी को पता होगा कि आज के टाइम पर वॉयरलैस कम्युनिकेशन से विश्व को बदल रहा है हर जगह वॉयरलैस कम्युनिकेशन use किया जा रहा है जानकारी आपको अच्छी लगी तो आपसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें SAHI JANKARI HINDI MAI पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद |

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